"तुम मुझे इतना क्यों परेशान कर रहे हो...
क्यों मुझे रोज़ मुश्किलों में डाल रहे हो...
क्यों इतना रुला, सता रहे हो...?"
रब ने फ़रमाया:
“तुम भटक न जाओ, इसलिए...
यही तुम्हारी परीक्षाहै —
कि इन परेशानियों में तुम किसके पास जाते हो...?
किससे मांगते हो...? किसका सहारा लेते हो...?
अपना रब किसे बनाते हो...?”
और ये तब तक तय रहेगा,
जब तक तुम मुझ तक वापस न आ जाओ...
बेहतर है तुम भटको नहीं...
और उस रास्ते पर चलो
जिसके लिए तुम्हें आज़माया गया है...”
आमीन...!
अल्लाह सब बेहतर करने वाला है...
जिसके नाम से ही सारे दुख दूर हो जाते हैं,
वो "मुश्किलकुशा" है —
उसके होते हुए तुम कैसे भटक सकते हो...?
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npidrish
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