"अल्लाह अपने सबसे प्यारे बच्चे को तकलीफ भी देता है, इतनी तकलीफ कि आह निकल जाए, के आँखों से आँसू नहीं रहम की भीख नजर आए...
और सबसे ज्यादा साथ भी उसी बच्चे का देता है, क्योंकि अल्लाह जानता है, यह उसका बच्चा है सब सहन भी कर लेगा, उफ्फ भी नहीं करेगा, और मेरा होकर भी रहेगा...
रास्ते में इम्तिहान भी तेरे दिए अल्लाह, और मंजिल भी तूने ही दिखाया...
जब भी मैं भटकी तेरी राहों से, तूने खुद से मुझे मिलाया...
तोड़ा भी तूने मुझे टुकड़ों में कई, और बन मेरा जौहरी हीरे की तरह मुझको चमकाया, हर एक टूटे टुकड़े का खूबसूरत हार बनाया...
कैसे मैं कह दूं तू मेरे साथ नहीं... जब भी आह भरी मैंने तेरा हाथ मेरे सर पे पाया...
क्या खाक बिगाड़ेगी दुनिया मेरा, जब तू है मेरा साया..."
\- npidrish
No comments:
Post a Comment