जो भीड़ में चलते है वो भीड़ में ही कहीं खो जाते है,
जो अकेले चलते है इतिहास वो ही बनाते है,
इतिहास गवाह है अकेले चलने वालो के पीछे ही भीड़ अपना रास्ता बनाते है,,
जो राह में अकेला समझ रुक जाए,
वो भीड़ का हिस्सा जल्द ही बन जाते है,
अकेले चलते है जो रुकते नही,,
आवाज देते है मगर झुकते नही,
अंधेरो में हाथ किसी का मांगते नही,
रोशनी में साथ किसी का मांगते नही,
इतिहास गवाह है , किसी की मदद के लिए सबसे पहले हाथ वही बढ़ाते है,
वो किसी के पीछे खड़े नही होते , वो सामने आकर हाथ बढ़ाते है,
भीड़ उसके पीछे खड़ी होती है,
और वो आगे खड़े मुस्कुराते है,
उन्हें जरूरत नही जयजयकार की,
उनका काम ही उनकी पहचान बताते है,
उन्हें लालच नही किसी नाम की,
वो हमेशा अपनी पहचान छुपाते है,
वो जीते है सिर्फ सुकून के लिए ,,
किसी की मुस्कान में ही वो अपनी खुशिया जी जाते है,,
लाख विरोधों में भी अटल खड़े उन्हें पाते है,
जो रुकते नही पत्थरो की चोट से,
वो ही तो संगेमरमर के महल बनाते है
वो इंतिज़ार नही करते किसी का,
वो खुद ही हल उठाते है,,
उन्हें जरूरत नही बारिसों की,
वो खुद बौझार बन बरस जाते है,,
उनके पसीने से ही फसल लहलहाते है,
उन्हें जरूरत नही तारीफों की,
वो बुराइयों में भी जगमगाते है,
वो हवा की तरह होते है,,
शांत बन शीतलता फैलाते है,
और क्रूर हो तो तूफान बन जाते है,,
जो अकेले चलते है,
इतिहास वो ही बनाते है,,।
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