बहुत मुश्किल है अब फिर से बच्चा बन पाना ।
बहुत मुश्किल है अब फिर से वो बचपन के दिनों का आना ।
वो स्कूल का बस्ता कंधे पर वापिस लाना।
वो चिल्ड्रेन डे पर मैडम का टॉफी खिलाना ।
वो टीचर बनकर बच्चो को पढ़ाना।
रास्ते में दोस्तो से लड़ते हुए स्कूल जाना ।
वो साइकल पर रेस लगाना ।
वो बारिश में भीगते हुए घर आना ।
वो लंच टाइम में दोस्तो का टिफिन छीन के खाना ।
पीछे बैठ के लेक्चर में सिटी बजाना ।
ठंडी में बिना नहाए स्कूल जाना ।
वो स्कूल की वर्दी , वो स्वेटर वो मफलर वो घिसे जूते वो पॉकेट में पूरी दुनिया का समाना ।
एक छोटे से बस्ते में लेकर फिरना ज़माना।
वो पापा की मार , वो मम्मी की डांट वो साथ भाई बहनों का रूठना मनाना ।
फ्रिज से चोरी करके वो आइस क्रीम खाना ।
वो मेहमानों के आने पर खुश हो जाना ।
जाते हुए पैसे देकर जायँगे इस इन्तिज़ार में घर से बाहर न जाना ,,,।
वो त्योहारों पर रौनक लगाना ।
वो पड़ोसियों की शादी में नाचना गाना ।
ट्यूशन की मस्ती ।
वो गर्मी के छुटियो की सुस्ती
वो अपना प्रोजेक्ट वर्क दुसरो से करवाना ।
वो मेले में जाने को जिद करना और जाते हुए पापा का हाथ ना छोड़ना ।
स्कूल से घर आते ही भूख भूख चिल्लाना ।
बहुत मुश्किल है अब फिर से बच्चा बन पाना ।
बहुत मुश्किल है अब फिर से वो बचपन के दिनों का आना ।।
वो बार्बी की दुनियाँ ,वो परियो की कहानी , वो हातिम वो शक्तिमान का घूम घूम कर आना ।
वो सिंड्रेला की कहानी में खुद सिंड्रेला बन प्रिंस चार्मिन के साथ ख्वाबो की सैर कर आना ।।
वो सकालका बूम बूम की पेंसिल को पाने की चाहत , , टॉफी और चॉकलेट देख मन का ललचाना ।।
दोस्त ,दोस्ती ही जहां में प्यारा था सबसे , वो कागज की कसती बना कर दरिया में बहाना ।
वो आँसू भी प्यारा था कितना हमारा ,
खुद के गिरने पर भी जोर जोर से ठहाके लगाना ।
संग पँछी के उड़ना ।
मछलियों के संग मछली बन जाना ।
वो कच्चे आम का नमक के संग खाना ।
छत पर सूखते आचार चुरा कर जेब में भर लाना ।
वो मम्मी का दो गूथ फूलो वाला बनाना ।
वो बन्दर वाली टोपी पहन इतराना ।
बागीचे से वो , अमरूद चुराना ।
बहुत मुश्किल है अब फिर से बच्चा बन पाना ।
बहुत मुश्किल है अब फिर से वो बचपन के दिनों का आना ।।
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