मैं तुमसे मिलने आऊँगी,
लग जाएंगे कुछ बरस मुझे,
तुम इंतजार मेरा करना,
चाहे कितना भी मुश्किल हो, ऐतवार मेरा करना,
मैं तुमसे मिलने आऊँगी,
अगले जनम की बातें सब किताबी हैं,
मुझे तुमसे इसी जन्म में मिलना है,
कुछ काम अधूरे बाकी हैं,
कुछ अंधेरों को मिटाना है,
मैं कायर या कमजोर नहीं जो भाग जाऊँगी जिमेदारी से,
मैं स्वयं की इच्छा मृत्यु से,
तय करूँगी अपना आखिरी दिन,
लेकिन काम अधूरे कुछ बाकी हैं,
हाँ समय थोड़ा लगेगा,
तुम बेवफा न मुझको समझना,
मिलकर भी हम मिले नहीं,
कितनी मन्नतों का धागा थे तुम,
थे पहले और आखिरी भी,
इस मीरा का थे! शरीर आधा तुम,
बहुत बाते अधूरी रह गई हैं,
मुलाकातें अधूरी रह गई है.
हाथ पकड़ के चलते जो,
वो रास्ते अधूरे रह गए है. ।
इतना लंबा और इतना छोटा जीवन जो अधूरा छोड़ गए,
इक लम्बी पगडंडी पे, हाथ पकड़ के चलना है ,
कहीं दूर गगन के कोने पर बैठ, बहुत बाते अधूरी करनी है।
मैं तुम तक दौड़ी आऊंगी,,,मुझे रास्ता पूरा करना है।
इक तुम्हारे लिए ही मैं तुमसे भी लड़ गई थी,
क्या दुनिया क्या किस्मत, सबसे बगावत कर जाउंगी,
तुम गए भले मुझे छोड़ गए,,,
मैं तुम्हें ना छोड़ पाऊँगी,
जो सौख मेरे रह गए अधूरे,
वो जोड़ जो तुम लाए नहीं ,
वो चूडी जो तुम पिछले महीने ही दे गए थे ,
वो मंगलसूत्र जो पहनाना रह गया था ,
वो सजना वो सवरना जो साथ में था,
अभी तो बहुत कुछ रह गया था ,
कितनी इच्छायें, कितनी बाते, कितनी ही जज्बातों की टोकरी को भरना था ...
हाय अभी तो इक ही पन्ना पढ़ा था,
पूरी किताब को पलटना था .
मैं तुमसे मिलने आऊँगी,
तुम इंतजार मेरा करना।
- एन.पी. इद्रीश
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