Friday, 29 July 2022

प्रेम खुद में ही पूरा नहीं

प्रेम को सिर्फ क्या जान लेना ही पर्याप्त था ?
जाना तो सती ने भी था बरसो का तप सेह कर महादेव को पाया था, फिर क्यों जान कर भी वो अग्नि में समाहित हुई,
क्यू फिर एक जन्म और उसको करना पड़ा तप, प्रेम को फिर से पाने के लिए, ।
जान लेना प्रेम में शायद पर्याप्त नही,

प्रेम को सिर्फ क्या पा लेना ही पर्याप्त था ?
पा तो सीता ने भी लिया था राम को, 
और हर मर्यादा का लाज भी रखा था,
फिर क्यों धरती में समाहित होना पड़ा उसे,
पा लेना प्रेम में शायद पर्याप्त नहीं,

प्रेम को सिर्फ क्या मान लेना ही पर्याप्त था ?
माना तो मीरा ने भी था श्याम को अपना सब कुछ,
फिर क्यों प्रेम की पीड़ा को सहकर भी उसे मूरत में समाना पड़ा,
लोक लाज सब त्याग जोगन बन जाना पड़ा,
मान लेना प्रेम में शायद पर्याप्त नहीं,

प्रेम में कुछ भी पूरा नहीं, कुछ भी पर्याप्त नही 
कितना भी जान लो, मान लो, या पा लो, रह जाता है अधूरा कुछ,
क्युकी प्रेम खुद में ही पूरा नहीं,,,।

Thursday, 21 July 2022

यहां श्याम नही आते है



यहां श्याम नही आते है,

मैं समझती थी प्रेम को मीरा की वाणी,
लेकिन इसकी तो है एक अलग ही कहानी,

ना श्याम बचाने आते मीरा को,
ना श्याम मीरा का विष पी पाते है,
ना पत्थर फेंके उलहानो के फूल बन पाते है।
ना दामन सफेद मीरा का बेदाग रह पाता है,
यहां अलग तरह के प्रेम निभाए जाते है
क्युकी यहां श्याम नही आते है,

ना गीत मीरा के गूंजते है उपवन में,
ना बांसुरी बजाने श्याम आते है,
ना पत्थर के आंसू बहते है,
ना अंगारे बिछे फूल बन पाते है

ये नए जमाने का प्रेम है यहाँ मीरा विष पीकर मर जाती है,
और अंगारों पे चलकर उसके पैर झुलस जाते है,
यहां फेंके हर पत्थर से उसका चीर झलनी हो जाता है,
और गाए उसके है गीत, विरह के अंगारे बरसाते है,
यहां प्रेम पूजा नही , बस चंद लम्हों का खेल है,
यहां प्रेम मीरा के प्रेम स्वरूप आंचल में नही, बस शब्दो मे तोले जाते है,
यहां अलग तरह का प्रेम निभाया जाता है
क्युकी यहां श्याम नही आते है,

मीरा के पांव के झाले कौन देखे ,
यहां सब बस प्रेम का मजाक बनाते है,
प्रेम अगर सच्चा हो तो बेवकूफी,
और झूठा हो तो खुशियां मनाते है,


प्रेम की पीड़ा पर लोग हंसते है,
श्याम दीवानी मीरा को कुलटा कहते है,
उसके चरित्र को बार बार गलत ठहराया जाता है,
मीरा नाम प्रेम का दर्शन, उसे लोक लाज सिखाया जाता हैं,,,
यहां कौन समझे प्रेम को सब बस, प्यार के दीवाने है,
भेद प्रेम का अंतर प्यार में बदल ज्ञान देने वाले है,
एक मूरत कोई पूजता नही, सबके कई भगवान प्यारे प्यारे है,
श्याम रूप को कौन चाहे, प्रेम का मतलब अब ना श्याम बताने आने है,
मीरा भी क्या बोले गोविंद गोविंद कर वो भी एक दिन श्याम के पास चली जानी है,
यहां प्रेम मीरा का नही त्याग, ना श्याम का विश्वास है,।।
प्रेम अब अपना मोल खो चुका है,
क्युकी अर्थ प्रेम का सिर्फ मिट्टी के जिस्म तक हो चुका है,

By npidrish 

Wednesday, 13 July 2022

क्या नाम इतना बड़ा है?

कुछ दिन पहले मैं कहीं एक जगह जुंबा जुंबा डांस करवा रही थी जो की मेंटल हेल्थ और शरीर दोनो के लिए सही होता है, इस दौरान मिक्स गाने चल रहे थे उसी में हरे राम हरे कृष्णा भी बजने लगा, जहां मैं ये डांस करवा रही थी वो एक क्रिस्टन कम्युनिटी है, मैं किसी कम्युनिटी पर सवाल नही उठा रही बस जो हुआ वही बता रही हूं, उन्होंने अगले दिन जुंबा जुंबा डांस बंद करवा दिया और कहा सबको ओनली एक्सरसाइज करवाऊ, मुझे ये चीज नही पता थी इसलिए मैने नही पूछा 2 दिन सिंपल एक्सरसाइज करवाया बट किसी भी पेसेंट का रिस्पॉन्स अच्छा नही था, मैने इंचार्ज से बात की के ऐसे करवाने का कोई फायदा नही आप मुझे मेरे हिसाब से करवाने दो तभी मैं करवा पाऊंगी क्युकी जो इन लोगो के हिसाब से सही है मैं वही करूंगी, उन्होंने एकदम से बोला वो आपका जो सॉन्ग आप बजाते हो वो हमे पसंद नही, मैने कहा के सॉन्ग अच्छा नही है तो बदल सकते है लेकिन इसके लिए पेसेट की हेल्थ तो नही खराब कर सकते । मैने सॉन्ग बदल दिया।
इस घटना से मुझे यह अहसास हुआ के लोगो के लिए लोगो का बनाया हुआ मत कितना बड़ा है और इंसानियत काम, और बाकी सभी चीजे छोटी है उसके आगे, 
क्या अल्लाह नाम, राम नाम, या इशू नाम इतना बड़ा है के इसके आगे सब कुछ छोटा है???