Thursday, 21 July 2022

यहां श्याम नही आते है



यहां श्याम नही आते है,

मैं समझती थी प्रेम को मीरा की वाणी,
लेकिन इसकी तो है एक अलग ही कहानी,

ना श्याम बचाने आते मीरा को,
ना श्याम मीरा का विष पी पाते है,
ना पत्थर फेंके उलहानो के फूल बन पाते है।
ना दामन सफेद मीरा का बेदाग रह पाता है,
यहां अलग तरह के प्रेम निभाए जाते है
क्युकी यहां श्याम नही आते है,

ना गीत मीरा के गूंजते है उपवन में,
ना बांसुरी बजाने श्याम आते है,
ना पत्थर के आंसू बहते है,
ना अंगारे बिछे फूल बन पाते है

ये नए जमाने का प्रेम है यहाँ मीरा विष पीकर मर जाती है,
और अंगारों पे चलकर उसके पैर झुलस जाते है,
यहां फेंके हर पत्थर से उसका चीर झलनी हो जाता है,
और गाए उसके है गीत, विरह के अंगारे बरसाते है,
यहां प्रेम पूजा नही , बस चंद लम्हों का खेल है,
यहां प्रेम मीरा के प्रेम स्वरूप आंचल में नही, बस शब्दो मे तोले जाते है,
यहां अलग तरह का प्रेम निभाया जाता है
क्युकी यहां श्याम नही आते है,

मीरा के पांव के झाले कौन देखे ,
यहां सब बस प्रेम का मजाक बनाते है,
प्रेम अगर सच्चा हो तो बेवकूफी,
और झूठा हो तो खुशियां मनाते है,


प्रेम की पीड़ा पर लोग हंसते है,
श्याम दीवानी मीरा को कुलटा कहते है,
उसके चरित्र को बार बार गलत ठहराया जाता है,
मीरा नाम प्रेम का दर्शन, उसे लोक लाज सिखाया जाता हैं,,,
यहां कौन समझे प्रेम को सब बस, प्यार के दीवाने है,
भेद प्रेम का अंतर प्यार में बदल ज्ञान देने वाले है,
एक मूरत कोई पूजता नही, सबके कई भगवान प्यारे प्यारे है,
श्याम रूप को कौन चाहे, प्रेम का मतलब अब ना श्याम बताने आने है,
मीरा भी क्या बोले गोविंद गोविंद कर वो भी एक दिन श्याम के पास चली जानी है,
यहां प्रेम मीरा का नही त्याग, ना श्याम का विश्वास है,।।
प्रेम अब अपना मोल खो चुका है,
क्युकी अर्थ प्रेम का सिर्फ मिट्टी के जिस्म तक हो चुका है,

By npidrish 

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