Monday, 6 January 2020

आज फर्क इतना सा है

आज फर्क इतना सा है

आज फर्क इतना सा है के हम कहलाते है आज़ाद,
बरसों रहे गुलाम दबाए हुए आवाज़,
फिर भी कहीं आज़ादी छुपाए हुए थे ज़नाब,

1.फांसी भी जो चढ़े तो दबने न दी आवाज़,
हाँ जेल भी गए और खाई लाठियां भी हज़ार,
गूंजी थी जो आवाज़ वो बुलंदी पर ले गए,
कर सत्याग्रह दिखाई थी अपनी खुली आवाज़, 
बरसों रहे गुलाम दबाए हुए आवाज़
फिर भी कहीं आज़ादी छुपाए हुए थे ज़नाब,

2. मुगलो ने अंग्रेज़ो ने झुकाया कई ही बार,
सर भी कटा दिए थे हमने तो खुशी से यार,
गाते हुए गुनगुनाते हुए हो गए थे वतन पे कुर्बान,
वो इसलिए नही था के तुम लूट लो खुद अपने ही वतन की आन,
बरसों रहे गुलाम दबाए हुए आवाज़
फिर भी कहीं आज़ादी छुपाए हुए थे ज़नाब,
आज फर्क इतना सा है के हम कहलाते है आज़ाद  ,

3. हर धर्म -जाति का हर इंसान का खून मिला हुआ है इस जमीन पर,
हैं तीन रंग खूब खिलता मेरे जमीन पर,
क्यों खून का रंग भी तुम अलग कर रहे हो,
हैं प्रकृति ने भी न बांटा हमे इस जमीन पर,
तब और अब में फर्क बस इतना सा है ज़नाब,
तब थे गुलाम फिर भी कहलाते थे आज़ाद
अब होकर आज़ाद हो गए खुद अपने ही गुलाम
बरसों रहे गुलाम दबाए हुए आवाज़
फिर भी कहीं आज़ादी छुपाए हुए थे ज़नाब,
आज फर्क इतना सा है के हैं हम आज़ाद ,।।



#npidrishquotes

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